शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

गर होता.. गुस्सा खत्म करने की दवा


आज एड्स जैसी लाईलाज बीमारी की भी दवा बन चुकी है। इसी तरह अगर गुस्सा खत्म करने की दवाई होती तो आज परिदृश्य कुछ इस तरह होता। मुतंजर अल जैदी बुश पर जूता फेंकने की बजाए प्यार से पूछता इराकियों के लिए आपका अगला कदम क्या होगा। जरनैल सिंह भी पी चिदंबरम पर जूता उछालने के बजाए बड़े प्यार से मुस्कुरा कर पूछता सर 84 के दंगो की जॉच कब तक पूरी हो जाएगी। सचमुच ऐसी जादुई दवा का इजाद हो जाए तो पड़ोसी आपस में नहीं लड़ते। दिल्ली पुलिस के एफआईआर में पचास फीसदी कमी रोडरेज मामले से हो जाती। 
कल्पना कीजिए किसी गांव का परिदृश्य जहां दो महिलाएं छोटी सी बात पर आपस में लड़ रहीं हैं। पहली महिला दूसरे से कहतीं हैं कि तोहरे पप्पूआ तो हमर खेत के सारे केतारी उखड़ देलके है। तो दूसरी महिला उसके जवाब में कहती कि तू तो हमर पप्पुआ के पीछे पड़ गईली हैं उ बेचारा के बदन में इतना जान कहां कि तोहर खेत के केतारी उखाड़तई। ये दो महिलाओं के बीच गुस्से का एक दृश्य है। और मैं आपको बता दूं जहां तक मेरा अनुभव है कि गांव की महिलाएं जब झगड़तीं हैं तो दोनों की बातें पूरा गांव सुनता है। उनका वोकल कोड इतना मजबूत होता है कि गांव में कम्युनिटी रोडियो के लिए किसी तकनीक की जरुरत नहीं बस किसी उंचे जगह में उनको खड़ा करने की जरुरत है। अब गुस्सा खत्म करने की दवाई ठीक झगड़े से पहले दोनों महिलाओं को खिला दिया जाए तो पूरा झगड़ा कुछ इस तरह होगा।
पहली महिला दूसरी महिला से कुछ इस अंदाज में कहतीं कि सुना हीं पप्पुआ के मां तोहरे पप्पुआ हमर खेत के केतारी चुरा लेलके है ओकरा तनी बोल देहीं चोरी ना करे जब खाए के मन करे तो हमरा से कह दे हम ओकरा दे देबई। महिला इतने प्यार से कहती कि दूसरी महिला का जबाव कुछ इस तरह होता – हां सच्चे में तू देखा हम ओकर का गत करबई ओकरा आवे तो दे।
गांव के परिदृश्य के बाद अगर लोकसभा और विधानसभा की कल्पना करें तो तो वहां सीन कुछ ऐसा होगा। जम्मू विधानसभा में सत्र के दौरान महबूबा मुफ्ती विधानसभा अध्यक्ष का माईक नहीं उखाड़ती वो बहुत ही प्यार से शोपियां मामले पर कहतीं। उनका मजमून कुछ इस तरह होता – अध्यक्ष महोदय शोपियां कांड हुए कई साल बीत गए। जॉच चलती रही कारवाई के नाम पर आश्वासन ही मिला। अध्यक्ष महोदय इस मामले पर आप उचित पहल करें। 
आज किसी को भी पेसेंस नहीं है हर कोई जल्दबाजी में रहता है। यह एक वजह हो सकती है गुस्सा भड़कने का। वैसे फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में डॉक्टर अपने गुस्से को काबू में रखने के लिए हंसता था। कुछ इस तरह के नुस्खे अपनाए जाए तो बात बन गई समझो।

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