मंगलवार, 22 दिसंबर 2009

दिल्ली पुलिस की वर्दी फिर हुई दागदार


दिल्ली पुलिस कि जितनी भी ईमानदारी के कसीदे पढ़े जाए सभी रिश्वतखोरी के सामने कम पड़ जाते हैं। दिल्ली पुलिस की वर्दी पर फिर से एक बार रिश्वतखोरी का दाग लग गया है। मामला दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आईजीआई) का है। हवाई अड्डे पर पुलिसकर्मी 24 लाख रूपए रिश्वत लेकर 100 टैक्सी को अवैध रूप से चलने का परमिट देते थे। इस धंधे में लगभग 20 दलाल लिप्त हैं जो पुलिस को प्रतिदिन 4 हजार रूपए रिश्वत देते थे। रिश्वत की कुल रकम जोड़ें तो 20 दलाल के प्रतिदिन 4 हजार के हिसाब से 80 हजार रूपए होते हैं। इस तरह पुलिस प्रतिमाह टैक्सी दलालों से 24 लाख रूपए वसूल करती थी। यह रकम भ्रष्ट पुलिस आपस में बांट लेते और पुलिस की वर्दी को बदनाम करने से ना चूकते। पिछले कई महीनों से जारी इस धंधे से पुलिस तो करोड़पति बन गए लेकिन जेब कटी उन टैक्सी ड्राईवरों की जो अपना पेट पालने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।
आईजीआई पर रिश्वतखोरी रोकने के लिए पुलिस ने नए हथकंडे अपना लिए हैं जिसके तहत अवैध रूप से टैक्सी चलाने वालों पर लगने वाला जुर्माना बढ़ा कर 10 हजार रूपए कर दिया है। जुर्माना बढ़ाने का कारण यह है कि पहले मामूली जुर्माना लगाया जाता था, इसे टैक्सी वाले आराम से देते थे कारण यह जुर्माना उसके दिन भर की आमदनी के मुकाबले बहुत कम थी। दूसरा हवाई अड्डे पर बायोमीट्रिक पहचान प्रणाली लगाई जा रही है जिससे सिर्फ पहचान पत्र वाले को ही काम करने की अनुमति मिलेगी। हवाई अड्डे पर फिलहाल लगभग 1800 अधिकृत टैक्सी ड्राईवर काम कर रहे हैं।
दिल्ली पुलिस की जितने भी ईमानदारी के पुल बांधे जांए लेकिन वो ईमानदारी अंत में आकर ईनामदारी में बदल ही जाती है। पहले ऐसे कई मामले आएं हैं जिसमें दिल्ली पुलिस के जवान ने अपनी ईमानदारी का परिचय दिया है। लेकिन उनकी कामयाबी एक पल में चकनाचूर हो जाता है जब कोई पुलिसवाला रिश्वत लेते पकड़ा जाता है।
फोटो - गूगल

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